WHO की मानें, तो विश्व में डिमेंशिया के मरीजों की संख्या 5.50 करोड़ से ज्यादा है। हाइपरटेंशन से जूझ रहे लोगों में इसके मामले ज्यादा देखे जाते हैं। अगर आपको हाई बीपी की समस्या है और इस बीमारी से बचना चाहते हैं, तो वर्कआउट करना शुरू कर दें। एक नए क्लीनिकल टेस्ट से पता चला है कि सप्ताह में एक बार हार्ड वर्कआउट करने से हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में डिमेंशिया का खतरा कम हो जाता है।
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डिमेंशिया के लक्षण
बातचीत करने में समस्या होना
समस्या का समाधान न ढूंढ पाना
कठिन काम करने में परेशानी होना
भ्रम और भटकाव की स्थिति पैदा होना
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क्या है हाइपरटेंशन और डिमेंशिया के बीच कनेक्शन
द जर्नल ऑफ अल्जाइमर एसोसिएशन में पब्लिश हुई अल्जाइमर एंड डिमेंशिया नामक स्टडी में 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के 9300 लोगों को शामिल किया गया था। इसमें पता चला है जिन लोगों ने हर हफ्ते वर्कआउट किया, उनमें ब्लड प्रेशर हाई होने के बावजूद भी डिमेंशिया का रिस्क बहुत कम था।दरअसल, अनकंट्रोल्ड ब्लड प्रेशर ब्रेन ब्लड वेसल को नुकसान पहुंचाता है। इससे ब्रेन में ब्लड फ्लो में कमी आती है। जिससे ब्रेन सेल्स को ऑक्सीजन और वो पोषक तत्व नहीं मिल पाते, जिसकी उन्हें जरूरत होती है। इससे डिमेंशिया के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
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डिमेंशिया में कौन से वर्कआउट फायदेमंद हैं
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हाइपरटेंशन वाले व्यक्ति को ऊपर की तरफ चढ़ना, दौड़ना, स्वीमिंग करना, एरोबिक डांसिंग के अलावा रस्सी कूदने जैसे एक्टिविटीज को अपने डेली रूटीन में शामिल करना चाहिए। इससे आगे चलकर डिमेंशिया की संभावना को रोकने में मदद मिल सकती है।
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बुजुर्गों हैं, तो जरूर करें वर्कआउट
स्टडी में फिजिकल वर्कआउट को बुजुर्गों के लिए बहुत फायदेमंद माना गया है। स्टडी में शामिल 60 प्रतिभागियों ने बताया कि उन्होंने सप्ताह में कम से कम एक बार एक्सरसाइज की थी। इससे 75 वर्ष और इससे ज्यादा उम्र के लोगों को बहुत फायदा हुआ।
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डिमेंशिया के खतरे को कम करने के अन्य तरीके
वर्कआउट डिमेंशिया के खतरे को कम कर सकता है। लेकिन जीवनशैली में कुछ आदतों को अपनाना भी जरूरी है, जैसे
वजन कम करें।
ब्रेन को एक्टिव रखें।
पर्याप्त मात्रा में विटामिन का सेवन करें।
स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखें।
अच्छी नींद लेने और हार्ट प्रॉब्लम्स को मैनेज करके भी डिमेंशिया को रोका जा सकता है।
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डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।