रियाद: इस साल की हज यात्रा पर सऊदी अरब की भीषण गर्मी हाजियों के लिए बड़ी मुश्किल बनी है। गर्मी की वजह से हुई बीमारियों से अब तक 900 हाजियों की मौतें सऊदी अरब में हो चुकी हैं, इनमें भारत के भी 90 लोग शामिल हैं। हज की रस्मों के दौरान लापता हो गए हाजियों को ढूंढ़ने में भी उनके परिजनों को काफी मुश्किल आ रही है। लापता हज यात्रियों के परिजन अस्पतालों में अपने लोगों को ढूंढ़ रहे हैं। मक्का में तापमान 51.8C तक पहुंच जाने की वजह से यहां सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं। इस साल हज में करीब 18 लाख लोग शामिल हुए। हाजियों की बड़ी संख्या में मौतों के पीछे बिना परमिट के आए यात्री, अव्यवस्था और बुजुर्गों के तेज गर्मी को ना सह पाना सबसे अहम वजह बन रही है।
सऊदी नेशनल सेंटर फॉर मेट्रोलॉजी के अनुसार, मक्का के आसपास के पवित्र स्थलों में चिलचिलाती धूप और दमघोंटू गर्म मौसम है। 50 के आसपास का पारा खासतौर से बुजुर्ग हाजियों के लिए असहनीय बन रहा है और वे गर्मी के कारण बेहोश होकर गिर रहे हैं। हाजियों के लापता होने और ठीक से जगह और इलाज ना मिलने की बड़ी वजह बिना रजिस्ट्रेशन के आए लोग भी हैं। ऐसे लोगों को सरकार की ओर से की एयर कंडीशन व्यवस्था नहीं मिल पा रही है, इससे ये ज्यादा बीमार हो रहे हैं।
हर साल हजारों तीर्थयात्री अनियमित चैनलों के जरिए हज करने का प्रयास करते हैं क्योंकि वे महंगे आधिकारिक परमिट का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। 2019 से यह आसान हो गया है जब सऊदी अरब ने सामान्य पर्यटन वीजा पेश किया। जिन तीर्थयात्रियों के पास आधिकारिक परमिट है वे खासतौर से परेशानी का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके लापता होने पर अधिकारी भी उनकी खोज कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं।
तीर्थयात्रियों ने कहा कि भारतीय शिविर भीड़भाड़ वाले और गंदे थे और सऊदी अरब में एचसीआई के अधिकारी मददगार नहीं थे। मुंबई स्थित हज तीर्थयात्री सामाजिक न्याय समूह के शम्स चौधरी ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि जिस तंबू 80 से 100 तीर्थयात्रियों को रहना था, उसमें 200 तकर हाजियों को रखा गया। चौधरी ने कहा कि आप इसके लिए हज समिति और सरकार को दोषी ठहरा सकते हैं, लेकिन इस बार केवल भारतीयों को ही परेशानी नहीं हुई बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की के तीर्थयात्रियों को भी इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
सऊदी नेशनल सेंटर फॉर मेट्रोलॉजी के अनुसार, मक्का के आसपास के पवित्र स्थलों में चिलचिलाती धूप और दमघोंटू गर्म मौसम है। 50 के आसपास का पारा खासतौर से बुजुर्ग हाजियों के लिए असहनीय बन रहा है और वे गर्मी के कारण बेहोश होकर गिर रहे हैं। हाजियों के लापता होने और ठीक से जगह और इलाज ना मिलने की बड़ी वजह बिना रजिस्ट्रेशन के आए लोग भी हैं। ऐसे लोगों को सरकार की ओर से की एयर कंडीशन व्यवस्था नहीं मिल पा रही है, इससे ये ज्यादा बीमार हो रहे हैं।
बिना परमिट वाले हाजियों को ढूंढ़ना मुश्किल
ट्यूनीशिया की 70 साल की मब्रौका बिन्त सलेम शुशाना शनिवार को माउंट अराफात में तीर्थयात्रा के बाद से लापता हैं। उनके पति मोहम्मद ने एएफपी को बताया कि उनकी पत्नी रजिस्टर्ड नहीं थी और उसके पास आधिकारिक हज परमिट नहीं था। ऐसे में वह वातानुकूलित सुविधाओं तक नहीं जा सकती थी। परमिट से आए तीर्थयात्रियों को ही खुले में इबादत के बाद एसी वाले टेंट में जाने की इजाजत है। ऐसे यात्रियों को खासतौर से बीमारियों का सामना करना पड़ा है और उनकी जान गई है।हर साल हजारों तीर्थयात्री अनियमित चैनलों के जरिए हज करने का प्रयास करते हैं क्योंकि वे महंगे आधिकारिक परमिट का खर्च वहन नहीं कर सकते हैं। 2019 से यह आसान हो गया है जब सऊदी अरब ने सामान्य पर्यटन वीजा पेश किया। जिन तीर्थयात्रियों के पास आधिकारिक परमिट है वे खासतौर से परेशानी का सामना कर रहे हैं क्योंकि उनके लापता होने पर अधिकारी भी उनकी खोज कर पाने में असमर्थ हो रहे हैं।
तेज गर्मी में अव्यवस्था ने किया हाल बेहाल
इस साल हज के दौरान गर्मी के अलावा अव्यवस्था का सामना भी भारतीय हज यात्रियों ने किया है। इससे स्थिति और ज्यादा खराब हो गई। बड़ी संख्या में भारतीयों ने भारतीय हज समिति (एचसीआई) के अधिकारियों द्वारा कुप्रबंधन की शिकायत की है। शिकायत में शिविरों में साफ-सफाई की कमी, अपर्याप्त भोजन और मीना में टेंट सिटी में भीड़भाड़ शामिल है। हाजियों ने शिविरों की खराब स्थितियों के बारे में शिकायत करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। तेलंगाना के एक तीर्थयात्री ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि हमारे साथ भिखारियों से भी बदतर व्यवहार किया गया। यह भारतीय हज समिति की विफलता है, जो हाजियों की देखभाल के लिए जिम्मेदार है।तीर्थयात्रियों ने कहा कि भारतीय शिविर भीड़भाड़ वाले और गंदे थे और सऊदी अरब में एचसीआई के अधिकारी मददगार नहीं थे। मुंबई स्थित हज तीर्थयात्री सामाजिक न्याय समूह के शम्स चौधरी ने कहा कि ऐसी रिपोर्ट हैं कि जिस तंबू 80 से 100 तीर्थयात्रियों को रहना था, उसमें 200 तकर हाजियों को रखा गया। चौधरी ने कहा कि आप इसके लिए हज समिति और सरकार को दोषी ठहरा सकते हैं, लेकिन इस बार केवल भारतीयों को ही परेशानी नहीं हुई बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और तुर्की के तीर्थयात्रियों को भी इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।